shree radhey: सुनकर तुलसी की कथा बन गए तुलसी दास
ब्रिंदाजी के प्...: सुनकर तुलसी की कथा बन गए तुलसी दास ब्रिंदाजी के प्रेम में विष्णू भये उदास सकल सृष्टि को छोड़कर भये प्रेम में लीन सगरी माया की गति लई प्र...
shree radhey
क्या थे क्या हो गए होंगे अभी , आओ हम सब मिलकर बिचारे ये समस्याएं सभी
शुक्रवार, 4 जनवरी 2013
मंगलवार, 4 दिसंबर 2012
सुनकर तुलसी की कथा बन गए तुलसी दास
ब्रिंदाजी के प्रेम में विष्णू भये उदास
सकल सृष्टि को छोड़कर भये प्रेम में लीन
सगरी माया की गति लई प्रेम ने छीन
परम मनोहर रूप तजि बनि गए सालिग्राम
बिनु तुलसी (ब्रिंदा ) के कछु नहीं लागे प्रिय घनश्याम
परम तपस्वनी त्यागिनी रत्नावली ललाम
मोह पास से अलग करि दे दिया संग घनशयाम
ब्रिंदाजी के प्रेम में विष्णू भये उदास
सकल सृष्टि को छोड़कर भये प्रेम में लीन
सगरी माया की गति लई प्रेम ने छीन
परम मनोहर रूप तजि बनि गए सालिग्राम
बिनु तुलसी (ब्रिंदा ) के कछु नहीं लागे प्रिय घनश्याम
परम तपस्वनी त्यागिनी रत्नावली ललाम
मोह पास से अलग करि दे दिया संग घनशयाम
गुरुवार, 22 नवंबर 2012
सोमवार, 27 फ़रवरी 2012
तेरे बस ..तेरे लिये
कान्हा तेरी मोहब्बत में बिना मोल बिक गए
अपना बना के मुझको तुम कहाँ छुप गए
अब लुट गया हूँ मै मोहब्बत के नाम पे
कोइ नहीं है लूटे हुए मॉल को , सहेजने के लिए
एक बार दिखा जाओ झलक अपनी हे कान्हा
दर दर भटक रहा ये दीवाना तेरे बस ..तेरे लिये
अपना बना के मुझको तुम कहाँ छुप गए
अब लुट गया हूँ मै मोहब्बत के नाम पे
कोइ नहीं है लूटे हुए मॉल को , सहेजने के लिए
एक बार दिखा जाओ झलक अपनी हे कान्हा
दर दर भटक रहा ये दीवाना तेरे बस ..तेरे लिये
शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012
मोहब्बत का असर
नींद को जीत लिया मोहब्ब्ब्बत का असर है
दर्द को पी लिया मोहब्बत का असर है
जगा दिया सोते हुए दिलों को आज
भर दिया वफ़ा दिलों में , मोहब्बत का असर है
याद आ गया हर एक को कोइ फिर आज
जागे फिर से ;;;प्यार ;;;के अरमा , मोहब्बत का असर है
दर्द को पी लिया मोहब्बत का असर है
जगा दिया सोते हुए दिलों को आज
भर दिया वफ़ा दिलों में , मोहब्बत का असर है
याद आ गया हर एक को कोइ फिर आज
जागे फिर से ;;;प्यार ;;;के अरमा , मोहब्बत का असर है
बुधवार, 19 जनवरी 2011
मंगलवार, 18 जनवरी 2011
हाय ये शब्द बेचारे
करते रहते अभिब्य्ति ब्यक्त फिर भी जाते हरदम मारे
जब उमड़ा प्रेम लपेट दिया जब गुस्सा आई दे मारे
माँगा तो इनसे ही माँगा ,जब दिया इन्ही का साथ लिया
निज पीड़ा को इनसे बांटा ,निज सुख को इनसे रूप दिया
पर आज पड़े है देहरी पर कुचले से अनजाने से
लो देख आईना सब कोई , ले लो सीख ज़माने से
शब्दों से चलती है दुनिया शब्दों से भगवान चले
शब्दों से प्रेम उमड़ता है शब्दों से अरमा मचले
शब्दों से मिलता घाव , शब्दों से मरहम बनता
शब्दों से शब्दों का युद्ध , प्रेम, कवि की रसमय कविता बनता
करते रहते अभिब्य्ति ब्यक्त फिर भी जाते हरदम मारे
जब उमड़ा प्रेम लपेट दिया जब गुस्सा आई दे मारे
माँगा तो इनसे ही माँगा ,जब दिया इन्ही का साथ लिया
निज पीड़ा को इनसे बांटा ,निज सुख को इनसे रूप दिया
पर आज पड़े है देहरी पर कुचले से अनजाने से
लो देख आईना सब कोई , ले लो सीख ज़माने से
शब्दों से चलती है दुनिया शब्दों से भगवान चले
शब्दों से प्रेम उमड़ता है शब्दों से अरमा मचले
शब्दों से मिलता घाव , शब्दों से मरहम बनता
शब्दों से शब्दों का युद्ध , प्रेम, कवि की रसमय कविता बनता
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